कहीं पर धूप
कहीं पर धूप, कहीं पर छाया, समझ गये सब तेरी माया, बादल, जादा नहीं चलेगा,यह दोरंगा खेल । घुप्प अंधेरा …
Read Moreसोकले टूटी पड़ी हैं,
सोकले टूटी पड़ी हैं, द्वार जब सबको खुले हैं। लोग जाने क्यों मुझे बदनाम करने पर तुले हैं | बादलो! …
Read Moreडा० राजीव कुमार
समाचार पत्र में प्रतिष्ठित साहित्यविंदू एवं ज्योतिषाचार्य डा0अशोक शर्मा के आकस्मिक निश्वन का समाचार पढ़कर स्तव्थ रह गया।निधन से तीन …
Read Moreगोविन्द उपाध्याय
साहित्य और ज्योतिष के मूर्घन्य विद्वान गुरु डा0 अशोक शर्मा पर दो शब्द लिखना मेरे लिए 8: कार्य तो है …
Read Moreड्ा० बेदबती राठी
कुछ प्रतिमाएँ ऐसी होती हैं जो समय को बहुत पीछे छोड़ जाती हैं।समय अपनी अबाधगति से प्रवहमान होता रहता है …
Read Moreडा० श्रीमोहन प्रदीप
संकल्प और विकल्प,स्मृतियाँ और विस्मृतियाँ -इसी का नाम तो मन है। किन्तु कुछ संकल्प और स्मृतियाँ मनौमण्डल में बादल और …
Read Moreडा० वेदप्रकाश अभिताम
वे कहा करते थे और बार-बार कहते थे -‘चलो बन्धु चलें,”इस बदमिजाज मौसम की छात्ती पर बैठें और मूँग दलें।’ …
Read Moreडा० श्रीराम शर्मा
अशोक जी से पहले माई साहंब(श्री हरिशंकर शर्मा,रिटायर्ड डीएएसं0पी0 आईए0बी0) और माईसाहब से भी पहले अपने गाँव (नगलादान सहाय) की …
Read Moreअलंकार शर्मा
डा0 अशोक शर्मा अपने समय के एक सम्पूर्ण व्यक्तित्व थे। वे अपने पूर्वजों की परम्परा के नायक और वाहक रहे …
Read Moreडा० राजेश कुमार
डा0 अशोक शर्मा का जन्म 9 अक्टूबर 7947ईै0 को हाथरस (ण४प्र0) में हुआ। आपके प्रिता पण्डित बैजनाथ शर्मा,गणित,खगगोरेल विज्ञान एवं …
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