पीली घूरणमुखी भोर
पीली घूरणमुखी भोर, दुपहर दीपित चन्दन-सी। शॉम कंनैरी साड़ी पहनें सरस्वती वन्दन-सी ।। हम तुम रोली – चावल जेसे माथे …
Read Moreगंगाजल हो गई जिन्दगी
ध्यासें लौटैंगेए कितने ही कितनों ने स््तान कर लिया तुमने बस आचमन किया तो गंगाजल हो गई जिन्दगी । निर्धारित …
Read Moreआया में तेरे आँगन में ।
आया में तेरे आँगन में । जैसे साथ -सांथ तारों के आता चन्दां नील गगन में॥ सजल, सलौनी, नेह-सनी, कुछ …
Read Moreफिसल गये थे
फिसल गये थे कभी सीढ़ियों पर से हम जो– उठकर फिर से चढ़ने को तैय्पार हो गये। पहले तो धरती …
Read Moreमैं मंगलगीत लिखेँगा
मैं मंगलगीत लिखेँगा।गाया दर्द बहुत दिन मैंने अब मैं पहली बार हंसुगा॥।रोता रहा जनम से अब तक अब गंगा से …
Read Moreसावनी हवाओं
सावनी हवाओं से आँख हुई नम | जी हाँ ! यह जीवन भी जीते हैं हम ॥ पथरीली भूमि और …
Read Moreगाजल तब तक
हुए भागे |गाजल तब तक, हुआ शाह? थी हे । अजुरी, भर कर आह 53॥ नहक रही ततब्रार अश्रर हैं, …
Read Moreसाथ-साथ हम दोनों
बैठें साथ-साथ हम दोनों आपस में कुछ बात करें प्रिय हे एक दूसरे में खो जायें पर ऐसा संयोग नहीं …
Read Moreजीवन के इसे सॉ्धरि-पत्र
जीवन के इसे सॉ्धरि-पत्र पृ, हूँ ककैतों की भाषा जब तक लिखी रहेगी तब तक, ैंहस्ताक्षर नहीं करू गा। मनगढ़त …
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