कहाँ हैं वे दिन’
जब कोयलें गाती थीं
भौरे झूमते थे ।
कहाँ हैं वे लोग
जो सुबह से शाम तक
हर नदी और पव॑त पर घूमते थे।
कहाँ हैं वे दिन |!
कहाँ हैं वे लोग
कहाँ हैं वे दिन’
जब कोयलें गाती थीं
भौरे झूमते थे ।
कहाँ हैं वे लोग
जो सुबह से शाम तक
हर नदी और पव॑त पर घूमते थे।
कहाँ हैं वे दिन |!
कहाँ हैं वे लोग
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