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बढ़-बढ़ कर मत बोलो,

बढ़-बढ़ कर मत बोलो, बादल
वढ़ बढ़ कर मत बोलो ।

पहले खुद को तोलो बादल –
पहले खुद को तोलो ॥

हवा सरीखे हलके हो तुम
पानी जैसे गीले।

ऊपर चढ़े हुए हो, तो क्या ?
हो कलंक से नीले ॥

मुझको कुछ कहने से पहले :
अपना चहरा धोलो ।-
बढ़-बढ़ कर मत बोलो, बादल

बढ़-बढ़ कर मत-ब्रोलो…. ….

ले उधार फ्राज्ी समुद्र्से :
बने आज तुम दानी ।

बूंद तलहैँ।म फ्रेकिर प्यास
हम ऐस अभिमाना ॥
दानी कहलाने से पहले,
अपनी जेब टटोलो ।
बढ़-बढ़ कर मत बोलो, बादल
. बढ़-बढ़ कर मत बोलो ॥

June 25, 2022

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