बढ़-बढ़ कर मत बोलो, बादल
वढ़ बढ़ कर मत बोलो ।
पहले खुद को तोलो बादल –
पहले खुद को तोलो ॥
हवा सरीखे हलके हो तुम
पानी जैसे गीले।
ऊपर चढ़े हुए हो, तो क्या ?
हो कलंक से नीले ॥
मुझको कुछ कहने से पहले :
अपना चहरा धोलो ।-
बढ़-बढ़ कर मत बोलो, बादल
बढ़-बढ़ कर मत-ब्रोलो…. ….
ले उधार फ्राज्ी समुद्र्से :
बने आज तुम दानी ।
बूंद तलहैँ।म फ्रेकिर प्यास
हम ऐस अभिमाना ॥
दानी कहलाने से पहले,
अपनी जेब टटोलो ।
बढ़-बढ़ कर मत बोलो, बादल
. बढ़-बढ़ कर मत बोलो ॥
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