बड़ा रोमाञ्चका री होता है अनायास
किसी नन्हीं-सी झील में फ़िसल जाना
उसकी गहराइयों में डूबना-उतराना,
किनारे पर आना और शरीर पोंछना ।
मगर, झील के किनारे टहलने वाला
हर सेलानी तराक नहीं होता,और नहीं
झाल मे हो इतना बल कि किसी डूबते
हुए को ऊपर उछाल देया र तेनिक
धक्का झील में ही इतना बल .कि किसी
ठहरी हुई झील ! तुम्हें समुद्र ते कोई
खतरा नहीं हैं,बहें अपनी सीमाएं नहीं
लॉचता । राग की तरह बह मर्यादा
पुरुष है ।अपनी सीमाओं में रह कर भी
खुश है।मगर इसका यह भी अथ॑ नहीं कि
उसमें ज्वार नहीं आता या चाँदनी उसे
मदहोश नहीं करती उसमें भी ज्वार
आता है,वह भी मदहोश होता है,हँसता है,
रोता है,मगर किसी को डूबने नहीं देता
सभी को उछालता है।यही तो विशालता है।
उसकी विकलता उसे गति देती है
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